Badgujar (बड़गूजर) Rajput History:-
इस अंश का उदगम (निकोस) श्री रामचन्द्रजी के कनिष्ठ पुण लव से है । राजपूताने में बड़गूजर' नाम की कोई शाखा नहीं है । इनके बड़े बड़े इलाके "ढूढाड" में थे, जयपुर, अजमेर, माथेड़ी ढूढाड में शामिल हैं । माथेड़ी के राज्य में राजौर का। पहाड़ी इलाका उनकी राजधानी था, रामगढ़, अलवर भी इनके इलाके थे । इन नगरों को कछावाओ ने युद्ध में परास्त करके छीन लिया था। उस वंश के एक सामूहिक दल ने गंगाणी के किनारे अनूप नगर शहर बसाया था और वहीं रहने लगे। वर्तमान में इस वंश की कोई रियासत नहीं है । यह भारत में बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में निवास करते हैं।Rekbar (रेकबार) Rajput History:-
इनका निकास श्री भरतजी के पुत्र से माना जाता है । बाल्मीकि रामायण में लिखा है कि मर्यादा पुरुषोत्तमश्री राम चन्द्रजी ने भरतजी के पुत्र पुष्पलजी को पुष्कलावती का राज्य दिया था। पुष्पलजी के बाद उस नगरी के राजा सुबल व सकुनीजी हुए थे । इन का विवरण महाभारत में लिखा है, फिर उनके बाद ‘रैकबार" नाम के राजा हुए थे जिन्होंने जम्बू के निकट रेकागढ़’ नगर बसाया था। उक्त नाम व नगर की प्रसिद्धि से "रेकबार’ संज्ञा हुई है । वे राठौड़ों से ३०० वर्ष पूर्व में कन्नौज से निकाले गये थे । और १५००ई शताब्दी में अवध में आये थे। ये लोग नीम से दातून नहीं करते हैं। राजपूताने की भांति विवाह सम्बन्ध भी शान शौकत से करते हैं । इस वंश के ताल्लुकेदार, बोड़ी, रहबा, पलवारी, मल्लापुरा, रामनगर, धमेडडी, रामपुर, मथुरा कलाँ राजपूताना, बिहार, उत्तर प्रदेश में निवास करते हैं।
Gode (गौड़) Rajput History:-
यह समुदाय सूर्य वंशी है, इनकी गोत्र - भारद्वाज हे . प्रवर-3 भारद्वाज, आनिरस, वाईस्पत्य। वेद-यजुर्वेद । शाखाबाजसनेयी । सूत्र- पारस्कर ग्रह्य सूत्र है । कुलदेवी-काली। इष्ट-रुद्रदेव है।
यह सूर्य वंश की शाखा मानी जाती है, गौड़ क्षत्रिय भरत जी के वंशज हैं । बाल्मीक रामायण में तक्षकजी को तक्षशिला देश का राज्य देना लिखा है । महाभारत के समय में सिर देश का राजा जयद्रथ उसी वंश का राजा या फिर उस देश की राजधानी थामेश्वर रही है । वहां के शासक सिहादित्य '' गौड़ " देश में आकर बस गये, उक्त देश में बसने के कारण गौड़" संज्ञा हुई है। महाराजा गोपीचन्द इस बंश के प्रसिद्ध राजा हुए हैं । गोरीशंकर ओझा लिखते हैं कि गौड़ नगर (देश) इस समय राजपूताने में अजमेर के राजगढ़ में है । पहले अजमेर के पास बहुत इलाके इस बंश के पास थे। परन्तु राठौड़ों ने उनसे छीन लिया था। मारवाड़ में भी जो मराठों का परगना है, वह अब तक गोड़ारी कहा जाता है । उसे भी राठोड़ों ने छीन लिया था।
इनकी निम्न शाखायें हैं।
गौड़, चमगौड़, वमनगौड़,भटगौड़, अमेठिया और गौड़ाहर हैं । अगध व शिवगढ़ रियासत हैं ।
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