Monday, 9 July 2018

छत्तीस कुल वाले क्षत्रियों को चार शाखायें और भारत के प्राचीन रजवंश

छत्तीस कुल वाले क्षत्रियों को चार शाखायें  निम्न प्रकार विभाजित हैं

सूर्य वंश:-
रवि के दसः राठौड़,कछवाहे,गहरवार, बैंस, गौर, सिसौदिया, बढ़ गूजर,  रक्षक, सेंगर. सिरनेत ।
चन्द्र वंश:-
चन्द्र के दस जांदों, तंवर, चन्देल, पांडु, बघेल सोमवंशी, भाटी, कृष्णतिल, नदवानी, झाला ।
मुनि वंश:-
ऋषियों के बारह शिववंशी, वणदिया, दीखत, नाग वंशी, बाच्छिल, विशेन काफुन, सकेत, भृगुवंशी, गर्गवशी, कदम्ब, धाकरे।
अग्नि वंश:-
अग्निवंश के चार परिहार, चौहान, सोलंकी, प्रमार (पवार), भारतवर्ष के पुरातत्व वेओं ने क्षत्रिय जाति के तीन वंश वाले और तेरह वंश वाले छत्तीस कुल प्रधान माने हैं शेषु सब इन्हीं की शाखा प्रशाखायें हैं छत्तीस।

इतिहासकार जेम्स टांड के अनुसार क्षत्रियो की  सूची से छत्तीस

1. इक्ष्वाकु सूर्य, 2. चन्द्र उर्फ इन्दु, 3. ग्हिलोत 4. यदु 5. तवर 6. राठौड़, 7. कछवाया, 8. प्रमार, 9. चौहान,
10. सोलंकी उर्फ़ चालूक, 11. परिहार, 12. चावड़ा, 13. टांक उर्फ तक्षक, 14 जिट व जेटी, 15 हन व हुण, 16. काठी 17. बाला 18. झाला, 19. गोहिल, 20. सविया, 21.सिलोर, 22. डावी, 23. गोर, 24. डोडा उर्फ डोड़, 25. गेहरवाल, 26. बड़गूजर, 27. सेंगर 28. सिकरवार, 29. बेस,30. दाहिमा, 31. जोहिया, 32. मोहिल, 33. निकुम्भ
34. राजपालो, 35. डाहिमा उर्फ दाहरिया, 36.जैनुल कामरी।

भारत के प्राचीन रजवंश

नोट:-इसके अलावा बहुत से गोष रह गये हैं ।इतिहास पृथ्वीराज रसो श्री मानिक राव जी द्वारा २४ उप म्न शाखाएँ से ७ चन्द्रवरदाई
नाम गोत्र वंश निवास स्थान
सूर्यवंश भारद्वाज सूर्यवंश बुलन्द शहर , आगरा , मेरठ
कछवाया मानव सूर्यवंश जयपुर,ग्वालियर इत्यादि
राठौड़ कश्यप सूर्यवंश जोधपुर, बीकानेर पूर्व मालवा
सिसोदिया वेजपायण सूर्यवंश ------
गहलौत वेजपायण सूर्यवंश मथुरा , कानपुर
सौमबंशी अत्रि चन्द्र प्रतापगढ़, हरदोई
यदुवंश अत्रि की शाखा राजस्थान करोली
भाटी अत्रि जादौन की शाखा महाराजा जैसलमेर
जाडेजा ---- यदुवंश की शाखा महाराजा कच्छ व भुज
यादव --- जादौन की की शाखा अवागढ़, कोटला, उभरगढ़,आगरा
तोमर वयाग्र चन्द्र वंश पाटन के राव,तवरघर,जिला-ग्वालियर
पालीवार वयाग्र तोमर की शाखा गोरखपुर वगैरह
परिहार कौशल छग्निवंशी उरई इत्यादि
तखी ---- परिहार की शाखा ----
पंवार वशिष्ठ परिहार की शाखा मालवा, धौलपुर, मेवाड़
सोलंकी भारद्वाज परिहार की शाखा राजपूताना, मालवा, एटा
सोलंकी भारद्वाज परिहार की शाखा राजपूताना, मालवा, एटा
चौहान वत्स परिहार की शाखा राजपूताना, मालवा, एटा
खिची वत्स चौहान की शाखा खीची बाड़ा
हाड़ा वत्स चौहान की शाखा खीची वाड़ा, ग्वालियर, मालवा
भदौरियावत्सअग्नि वंश शाखा चौहाननौगवां,भदावर,आगरा
देवड़ा.......राजस्थान सिरोही राज्य
सम्भरी........नीमराणा रानी का रायपुर
बच्छगोती........प्रतापगढ़, सुल्तानपुर
राजकुमार........बुड़वार, फतेहपुर जिला बहरोलिया
पवेय्या........ग्वालियर
गौर व गौड़भारद्वाजसूर्यशिवगढ़ रायबरेली कानपुर
बेंसभारद्वाजचन्द्रहरदोई उन्नाव बांदा पूर्व में
कनपुरियाभारद्वाजब्रह्मक्षत्रियअवध राज्य के जिलों में
गहरवार कश्यप सूर्य उन्नाव रायबरेली मैनपुरी
विसेनेवत्सब्रह्म क्षत्रीगाजी,गोरखपुर,बस्ती
निकुम्बवशिष्ठसूर्यगोरखपुर आजमगढ़ बस्ती
सिरनेत भारद्वाजसूर्य
कटहरियावशिष्ठसूर्यबरेली,मुरादाबाद,बदांयू
वाच्छिलअत्रिचन्द्रमथुरा,बुलंदशहर,शाहजहांपुर
बड़गूजरवशिष्ठसूर्यअनूपशहर,एटा,अलीगढ़
झालामरीच (कश्यप)चन्द्रधागधरा,मेवाड़,कोटा
रैकबारभारद्वाजसूर्य बहराइच, बाराबंकी
करचुल (हैहय)कश्यपचन्द्रबलिया, फैजाबाद
चंदेलचन्द्रायनचन्द्रगिन्नौर, कानपुर, डुदेलखंड
जनवारकौशलसोलंकीबलरामपुर व अवघके जिले
सेंगरगौतमब्रहाक्षत्रीइटावा, जालौन
बहरोलियाभारद्वाज शाखा सिसोदियारायबरेली,बाराबंकी
दीक्षितकश्यपशाखा सूर्यवंशउन्नाव, बस्ती, प्रतापगढ़ जौनपुर
सिलारसौनिकचन्द्रवंशसूरत
सिकरवारभारद्वाजबड़गूजरग्वालियरआगरा फतेहपुर सीकरी
सुखारगर्गसूर्य उत्तराखण्ड पूर्व दिशा में
सरवईया (सविया)वशिष्ठयदुकाठियावाड़
मोरीब्रह्मगोत्रसूर्यमथुरा, आगरा,बुलन्दशहर
टांकसौनिकनागवंशमैनपुरी पंजाब
कोशिककौशिकचन्द्रबलिया, आजमगढ़, गोरखपुर
पड़हरियासोमब्रह्मक्षत्रिय-----
बनाफरपाराशरचंद्रबुन्देलखण्ड, बांदा, बनारस
दाहियागर्गब्रह्मक्षत्रीयकाठियाब
पुडीरकपिलब्रह्मक्षत्रीयपंजाब,गुजरात यू०पी०
निर्वाणवत्सचौहान शाखा-----
कटारियाभारद्वाजसोलंकीझाँसी, मालबा, बलिया
गोहिलवेशवपाइनगहलौतकाठियाबाड़
बुन्देलाकश्यपगहरवारबुन्देलखण्ड के रजवाड़े
काठीकश्यपगहरवारकाठियावा मलासी बांदा
इन्दौलियाव्याघ्रतोमरआगरा, मथुरा
छोंकरअजेययदुआगरा वगैरह
चोलबंशी भारद्वाजसूर्यदक्षिण मद्रास में
निमिबंशीकश्यपसूर्यमिर्जापुर, अवधयू०पी० में

नोट-इसके अलावा बहुत से गोत्र रह गये हैं ।


2 comments:

  1. समय की कमी के कारण कुछ टाइम लग सकता पर सभी का शुद्ध इतिहास बताया जायेगा.आप को धन्यवाद वेबसाइट पर आने के लिए.

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  2. कछवाया चौहान
    का इतिहास

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